2/28/2008

फेस बुक हो या ऑरकुट सभी जगह चिरकुट

फेस बुक हो या ऑरकुट सभी जगह चिरकुट

आज प्रमोद सिंह ने अजदक पर फेस बुक और ऑरकुट पर एक पोस्ट डाला है। इसे पढ़ते समय कुछ अपनी तो कुछ दोस्तों की बातें याद आ गयी। समय का तकाजा यह है की अपने आस पास रहने वालों, दोस्तों, रिश्तेदारों, पडोसियों से आपको न तो बात करने की फुरसत होती है और न ही चिंता। लेकिन इंटरनेट के मदद से दुनिया से दोस्ती करने का हाथ बढाते हैं। घर की मुर्गी दाल बराबर।

मैं भी इनसे अलग नही हूँ। दोनों सोशल नेटवर्क में मैं भी हूँ। पिछले दिनों एक पत्रकार मित्र अपनी पहचान छुपा मेरे स्क्राप बुक में अपना कमेन्ट दिया। काफी छानबीन करने पर आखिरकार इस पत्रकार के बारे में जानकारी प्राप्त कर फोन लगाया। यह अलग बात है की वह मेरे दोस्तों में शामिल है। यहाँ सवाल यह है की किसी को भी अपनी पहचान छुपाने की जरुरत क्यों पडी है। न तो ऑरकुट में उसने सही नाम लिखा है और न ही अपनी तस्वीर लगाई है। पूरा मामला न तो मेरे समझ मी आया और न ही मैंने उससे पूछा।

दूसरा मामला कुछ दिन पहले का है। जीटीवी पर शुक्रवार और शनिवार को देर शाम अन्ताक्छ्री प्रोग्राम आता था जिसकी एंकर हिमानी कपूर होती थी। उसने एक दिन बातचीत में बताया की फेस बुक में मेरे नाम से किसीने एक खाता खोल रखा है। उसमे मेरे इतने फोटो हैं की मैं सोच भी नही सकती। जबकि फेस बुक पर मैं कभी गयी ही नही। फ़िर जब मैंने उसका नाम फेस बुक पर खोजा तो पाया की वहां १०६ फोटो हिमानी की है। उसने बताया की ऑरकुट पर भी उसके नाम से कई फेक खाता है। वहां जाने पर भी चिरकुटई देखने को मिला।

यह बात सही है की हर मामले के सकारात्मक और नकारात्मक दो पहलू होते है। यह तो आप पर निर्भर है की आप किस साहिल को चुनते है।

2/21/2008

मिल गया, मिल गया, उमराव जान का गाना

मिल गया, मिल गया, उमराव जान का गाना

कुछ अरसा पहले मैंने ब्लॉग पर गायिका ऋचा शर्मा के बरे में अपना अनुभव बयां किया था। उसका गया हुआ फ़िल्म उमराव जान का गाना अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो मुझे काफी पसंद है।कई दिनों के बाद आज ब्लाग की दुनिया मी यह गाना मिल गया। यह गाना तो सुनता था, लेकिन याद नही आ रहा था की यह किस फ़िल्म का है।

नदींम कमर के ब्लाग कोतुहल पर यह गाना मिल गया। फ़िर मुम्बई से ऋचा जी से बात हो गयी। इस गाने पर आश्वस्त हो झूम बराबर झूम प्रोग्राम को लेकर बात भी हुई। उन्होंने कहा बाजार से कैसेट खरीद कर जरा ध्यान से सुनो। अब मैं बाजार से उसे खरीदूंगा तब कुछ इस मुद्दे पर बात होगी।

रिचा शर्मा की आवाज आप भी सुने, एक दर्द का अनुभव होगा। फ़िल्म अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या की शादी के बाद रिलीज हुई थी। वैसे नदीम ने जो गाने के बोल लिखे हैं, काफी galtiyan हैं , इस कारण उसे post नही कर रहा। फ़िर भी आप उनके ब्लाग पर जाकर पढ़ सकते हैं।

2/03/2008

जब घर में भांजी की किलकारी गूंजी




जब घर में भांजी की किलकारी गूंजी

साल २००१ में मेरे यहाँ आज के दिन, तीन फरवरी को पहली भांजी पैदा हुई। ठंड का समय था। भांजी घर आयी क्या, घर के सभी लोगों को एक खिलौना मिल गया था। दिन हो या रात सभी उसी के साथ चिपके रहते। पापा कालेज से आते तो सीधा उसे ही देखने जाते। मैं बाहर से आता तो बस सीधा रास्ता उसी कमरे में होता, जहाँ वह होती। छोटी बहन तब तक सोचती कि घर में सबसे छोटी वही है, इसलिए सबसे दुलारी है, लेकिन अब तो उससे भी कोई छोटी घर में थी। वह हमेशा उसकी सेवा में लगी रहती। उसे सुलाने का काम मेरा होता।कोई भी बच्चा कितना भी नटखट हो मेरी गोदी में उसे पता नही कितना शकुन मिलता है, वह सो जाता है।

उसके जनम के समय जीजाजी नही थे। भागलपुर में जिस डाक्टर के अस्पताल में उसका जनम हुआ था, वह मेरे मित्र की माताजी थी। इस कारण वहाँ अपने घर जैसा माहौल था। भागलपुर के तिलकामांझी स्थित तीन मंजिले मकान के जमीनी तल पर अस्पताल और पहले मंजिल पर डाक्टर शैल बाला श्रीवास्तव जी का घर था। पहली मंजिल पर ही मेरे मित्र का कमरा था, जहाँ कभी बैठ दोनों पढ़ते थे। उस वक्त डाक्टर अंटी कभी चाय तो कभी नास्ता खुद हम लोगों के लिए लाती।


सामान्य ढंग से भांजी शाश्वती पैदा हुई। घर के लोग यहाँ तक जितने परिचित थे उसे देखने आते। घर में हर दिन उत्सव का माहौल होता। लेकिन उस दौर में बहन के ससुराल के लोगों को थोडी कशिश रही कि बेटा पैदा नही हुआ। हालांकि, शाश्वती ने सभी का इतना मन जीत लिया कि आब तो सबसे जाया अपने दादा और दादी की दुलारी है। शाश्वती का घर मधुबनी के पास स्थित पिलखवार है। वैसे भागलपुर के पास सबौर में भी आलिशान मकान है।

इन दिनों शाश्वती इंदौर में अपने मम्मी और पापा के साथ रह पढ़ाई कर रही है। पढ़ने में इतनी होशियार की आप मिलें तो दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर हो जाएँ। समझदार इतनी की मुझे उसका मामा कहने पर शर्म आती है। सभी शब्दों का उच्चारण इतना सटीक और बोलते वक्त अधूरी पंक्ति नही छोड़ती।


निश्चयी इतनी है कि भले ही कितनी ठंड हो सुबह नहाने के बाद ही अन्न का दाना मुँह में डालेगी। क्लास में हमेशा अव्वल। लेकिन यदि स्कूल में किसी दिन टीचर ने दांता तो फिर घर आकर उसका रोना-धोना शुरू। मम्मी से हिसाब करेगी कि उसकी क्या गलती थी। कोई भी हो सीधे शब्दों में बात करेगी। कोई दर नही, कोई पंगा नही। फोन पर बेहिचक आप का हाल पूछेगी और फिर मम्मी को फोन देगी।


छोटी बहन और भाई से इतना प्यार करती है, जैसे वही दोनो का अभिवावक हो। खामी भी है, गुस्सा का घूंट पी जायेगी, दिल को चोट लगने पर चुपचाप रहेगी। एकलौता ममम यानी मुझसे न तो कभी टाफी मांगी और न ही कुछ और। बस बोलेगी, एक बार इंदौर आ जाओ मिलने। इतनी प्यारी भांजी से कौन नही प्यार करना चाहेगा।