6/29/2008

धमाचौकडी मचाने और गिल्ली-डंडा खेलने में माहिर थे सोनू निगम, इंटरव्यू एक

धमाचौकडी मचाने और गिल्ली-डंडा खेलने में माहिर थे सोनू निगम

जाने-माने गायक सोनू निगम फरीदाबाद में पैदा हुए थे। एक दशक पहले फ़िल्म 'बेवफा सनम' में 'अच्छा सिला दिया तूने प्यार का... ' गाने से गीत प्रेमियों के दिलों पर राज करने का उनका सफर शुरू हुआ, वह फ़िल्म 'धूम-टू के गाने 'माई नेम इज अली मूवी ' तक जारी है। दर्जन भर से अधिक अवार्ड बटोर चुके सोनू ने २००६ में फ़िल्म 'फ़ना', 'कभी अलविदा न कहना', 'कृष', 'लगे रहो मुन्ना भाई, 'जानेमन' और 'धूम-टू' जैसे हिट फिल्मों में अपनी आवाज देकर अपने आलोचकों का मुंह बंद कर दिया। इस जादूगर से विनीत उत्पल की बातचीत।
फरीदाबाद से आप कितना ताल्लुकात रखते हैं?
मेरे दादाजी दया प्रसाद निगम १९५३ में आगरा से आकर यहाँ बस गए थे।दादाजी का बिजनेश था। पाकिस्तान से आए रिफ्यूजी के लिए बसाये गए परिसर नेबरहुड पांच में हमारा घर था। इसी घर में मेरा और मेरे चचेरे भाई का जनम हुआ। बाँके बिहारी मन्दिर के ठीक सामने घर होने के कारण अक्सर अपने चचेरे भाईयों के साथ मन्दिर परिसर में धमाचौकडी मचाया करता था।
आपको यहाँ की कितनी याद आती है?
जब मैं चार या पांच साल का था, तभी मेरे पापा दिल्ली बस गए थे। इसके बाद भी करीब १०-१२ साल तक अक्सर छुट्टियों में वहां जाया करता था। बड़े होने तक भी सभी भाई-बहन बाँके बि हारी मन्दिर में खेलते थे। मोहल्ले के पुराने दोस्तों के साथ गुल्ली-डंडा खेलने में खूब मन लगता था।
क्या अभी भी फरीदाबाद में आपका पैट्रिक घर है?
नही, हमारे परिवार के फरीदाबाद से दिल्ली बस जाने के बाद आसपास के लोगों के अतिक्रमण के कारण हमें वह मकान बेचना पड़ा। वैसे हमारी इच्छा थी इस घर में अपनी अतीत की यादें सँजोकर रखें, लेकिन वह सम्भव नही हो पाया। अब तो हमारा पूरा परिवार मुम्बई में ही बस गया है। मेरे पापा अगम कुमार, माँ शोभा निगम और दोनों बहनें भी साथ ही रहती हैं।
आख़िर बार यहाँ कब आना हुआ था?
सही तारीख तो याद नही, पर अन्तिम बार जब हमारा पूरा परिवार वहां गया था, तो उस घर की यादों को सँजोकर रखने के लिए तस्वीरें खींच लाये थे। उस वक्त हमने वहां की उन जगहों की भी तस्वीरों को भी कैमरे में उतारा, जहाँ कभी हम दोनों भाई दोस्तों के साथ गुल्ली-डंडा खेलते थे।
सार्वजानिक तौर पर कभी यहाँ आना हुआ?
घर बेचने के बाद अपने गीतों की प्रस्तुति देने के क्रम में कई बार शहर में आना हुआ है। नीलम सिनेमा हाल मुझे अभी तक याद है। जब भी मेरा शहर में आना होता है, ख़ुद को स्थानीय महसूस करता हूँ। वहां अभी भी मेरे काफी दोस्त हैं। अपने प्रोफेशन में इस मुकाम तक पहुँचने के बावजूद बचपन में बिताये वहां के दिन मुझे अक्सर याद आते हैं।
फरीदाबाद के लिए कुछ करने की बात आयी, तो क्या करेंगे?
फरीदाबाद की मिट्टी में पैदा होने का मुझे गर्व है। जब भी फरीदाबाद के लोगों को मेरी जरुरत महसूस होगी, मैं हमेशा उनके साथ रहूँगा। लोगों के प्यार और आशीर्वाद का फल ही तो है, जो आज मैं इस मुकाम पर हूँ।
साभार: हिंदुस्तान, २३ जनवरी, 2007

2 comments:

Udan Tashtari said...

अच्छा लगा सोनू निगम का यह साक्षात्कार पढ़ना. आभार.

दीपक बरनवाल said...

bahute badhiya dada
auron ke bhee interview dal t maja aa jaie, kahe ki najdik se e sab ke dekhe k mauka kame mil la