9/25/2008

कौन सुनेगा जामिया का दर्द

आज एक खास रिपोर्ट बीबीसी के इन्टरनेट संस्करण पर पढने को मिला। टीचरों और छात्रों ने आज रैली निकली थी। कुलपति का बयान आया है। बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए अब्दुल वाहिद आज़ाद की रिपोर्ट कुछ यूं है।

दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया के शिक्षकों ने केंद्र सरकार से माँग की है कि पिछले शुक्रवार को जामिया नगर में हुई पुलिस मुठभेड़ की न्यायिक जाँच कराई जाए.
विश्वविद्यालय परिसर में एक शांति मार्च भी निकाला गया जिसमें कुलपति मुशीरुल हसन, शिक्षक और छात्र शामिल हुए.
शांति मार्च में शामिल छात्र अपने हाथों में तख्तियाँ लिए हुए थे, जिन पर लिखा था, 'हम छात्र हैं, आतंकवादी नहीं'.
पिछले हफ़्ते शुक्रवार को दक्षिण दिल्ली के जामिया नगर इलाक़े में मुठभेड़ हुई थी जिसमें दो संदिग्ध चरमपंथियों की मौत हो गई थी.
पुलिस के मुताबिक़ एक संदिग्ध चरमपंथी गिरफ़्तार किया गया था और दो फ़रार हो गए थे.
जामिया के छात्र भी संदिग्ध
इस मुठभेड़ में दिल्ली पुलिस के इंसपेक्टर मोहन चंद्र शर्मा की भी मौत हो गई थी. पुलिस ने मुठभेड़ के दो दिन बाद तीन संदिग्ध चरमपंथियों को गिरफ़्तार किया था. उनमें से भी दो जामिया के छात्र थे.
पुलिस का दावा है कि इन संदिग्ध चरमपंथियों का संबंध पिछले दिनों दिल्ली में हुए बम धमाकों से था.
जामिया टीचर सॉलिडैरिटि ग्रुप नाम के शिक्षकों के एक समूह ने गुरूवार को एक प्रेस कांफ़्रेंस में जमिया नगर में हुई मुठभेड़ की न्यायिक जाँच कराने की माँग की.
मुठभेड़ पर संदेह
प्रेस कांफ़्रेंस को संबोधित करते हुए प्रोफ़ेसर आदिल मेहदी ने कहा, "जिस तरीक़े से मुठभेड़ हुई है उस पर पर हमारा गहरा संदेह है. इसलिए हम चाहते हैं कि मुठभेड़ की न्यायिक जाँच कराई जाए."
उनका कहना था कि मुठभेड़ के बाद से पुलिस जामिया नगर इलाक़े से जिस तरह बेगुनाह लोगों को हिरासत में ले रही है वह चिंताजनक है.
जामिया के शिक्षकों ने यह भी फ़ैसला किया है कि जो लोग गिरफ़्तार किए गए हैं उन्हें क़ानूनी मदद दी जाएगी. शिक्षकों के इस समूह का कहना था कि वे इलाक़े में 'जन सुनवाई' का भी आयोजन करेंगे.
मीडिया का भूमिका
प्रेस कांफ़्रेंस में एक अन्य अध्यापिका मनीषा सेठी ने कहा कि इस पूरे मामले की जिस तरह से मीडिया ने रिपोर्टिंग की है, वह निंदनीय है.
उनका कहना था "मीडिया जज नहीं है. उसे किसी को भी 'आतंकवादी' कहने का हक़ तब तक नहीं है जब तक अदालत उसे गुनाहगार साबित न कर दे."
उन्होंने कहा कि हम एक धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक देश में रहते है और इस तरह किसी के ख़िलाफ़ रिपोर्टिंग नहीं कर सकते कि जिससे एक समुदाय विशेष दबाब में आ जाए.
इस प्रेस कांफ़्रेस से एक दिन पहले यानी बुधवार को जामिया के कुलपति मुशिरुल हसन ने छात्रों और शिक्षकों को संबोधित किया था.
उन्होंने छात्रों से कहा था कि वे किसी के बहकावे में न आएँ और जामिया की जो 'धर्मनिरपेक्ष' छवि है उसे क़ायम रखें.
कुलपति ने अपने भाषणा में इस मामले में गिरफ़्तार किए गए जामिया के दो छात्रों को क़ानूनी मदद देने की घोषणा थी.
बीबीसी से बातचीत में मुशीरुल हसन ने कहा, "हमने कहा है जामिया के जिन छात्रों पर आरोप लगा है कि वे आतंकवादी हैं, उन्हें क़ानूनी मदद दी जाएगी. हम तो सिर्फ़ ये सोचते हैं कि जब तक उन पर अपराध साबित नहीं होता, वे निर्दोष हैं. अगर वे दोषी हैं तो उन्हें सज़ा ज़रूर मिलेगी. "
जामिया में लगभग साठ फ़ीसदी छात्रों के लिए छात्रावास की सुविधा उपलब्ध नहीं है.
ऐसे में विश्वविद्यालय के ज़्यादातर छात्र जामिया नगर के इलाक़े में ही किराए पर कमरा लेकर रहते हैं. पिछले दिनों हुई मुठभेड़ और धर-पकड़ के बाद ऐसे कुछ छात्रों में घबराहट देखने को मिल रही है.
जामिया विश्विविद्यालय प्रशासन का कहना है कि इन तमाम घटनाओं को ध्यान में रखकर गिरफ़्तार छात्रों को क़ानूनी मदद देने की बात कही गई है.

4 comments:

Gyan Darpan said...

कर्येवाही आतंकवादियों के खिलाफ हो रही है जामिया के खिलाफ नही | पता नही जामिया वाले क्यों इसका बतंगड़ बना रहें है | जामिया अपने पढाने के काम तक ही सिमित रहें तो ही ज्यादा अच्छा ही| किस किस छात्र को जामिया कानूनी सहायता देगी

दिनेशराय द्विवेदी said...

किसी को भी कानूनी सहायता प्रदान करने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए। वैसे भी कानून यह है कि किसी के पास कानूनी सहायता उपलब्ध न हो तो सरकार उसे अपने खर्चे पर उपलब्ध कराएगी।
कानूनी सहायता तो सच ही सामने लाएगी। उस पर किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।

Arvind Mishra said...

केवल एक माईक्रो सवाल ,दिनेश जी आप से भी -क्या जामिया अपने किसी हिंदू छात्र के आतंकी मुलजिम होने पर भी यह लामबंदी करता ?और हाँ कानूनी सहायता किसी भी नागरिक को दी जानी चाहिए बशर्ते वह ख़ुद अपनी पैरवी में असमर्थ है !

Anonymous said...

और वकिन न मिले तो दिनेशरायजी को बुला लें।