9/06/2009

मिट्टी से निर्मित कुएं मिले

मधेपुरा। प्रखंड अंतर्गत आनंदपुरा गांव के निकट सड़क के किनारे मिट्टी का कई अद्भुत निकला कुआं आमजनों के लिए दर्शनीय स्थल बन गया है। इस संबंध में अनुमंडलाधिकारी दयानिधान पांडेय का कहना है कि इसकी जांच पुरातत्व विभाग से कराएंगे।
दरअसल गत वर्ष आई प्रलयकारी बाढ़ के वक्त आनंदपुरा-नेमुआ गांव के बीच पानी के बढ़ते दबाव के कारण सड़क टूट गयी जिसके कारण उस स्थल पर काफी गढ्डा हो गया। परंतु जलस्तर में फिलहाल काफी कमी आने के कारण कच्चे मिट्टी का छह कुआं को लोगों ने देखा तत्पश्चात इस संवाददाता ने स्थल निरीक्षण किया। निरीक्षण में देखा कि सही मायने में छह मिट्टी का कुआं वर्तमान में है ही। जिस कुएं का मिट्टी काफी कठोर है। लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि कुआं कब का है। चूंकि मिट्टी के बने होने के कारण उस पर कुछ भी लिखा हुआ नहीं है। इस संबंध में ग्रामीण छत्री यादव एवं अन्य लोगों का कहना है कि अंग्रेज के जमाने में इस जगह नील की खेती बड़े पैमाने पर की जाती थी। हो सकता है कि मजदूरों को पीने के लिए पानी उपलब्ध कराए जाने के लिए इस कुआं का निर्माण कराया गया होगा। लेकिन जिस कठोर मिट्टी का कुआं मिट्टी के नीचे देखने को मिल रहा है उस तरह की मिट्टी इस इलाके में उपलब्ध नहीं है। लेकिन इस तर्क से खुलासा इसलिए नहीं हो रहा है कि एक ही जगह छह कुओं का मिलना विश्वास नहीं जता पा रहा है।
अगर प्रशासन और शासन इसकी जांच पुरातत्व विभाग से कराए तब ही पता चल सकता है कि उक्त कुआं कब का है और क्या इसी जगह था या नहीं? खुदाई से यह भी स्पष्ट हो सकेगा कि कुआं के अंदर और कुछ भी है। अगर कुआं से कुछ प्राप्त होता है तो निश्चित रूप से उसे साक्ष्य के रूप में देखा और परखा जा सकता है।
इस संबंध में अनुमंडलाधिकारी दयानिधान पांडेय ने बताया कि इसकी सूचना सरकार को दी जाएगी और पुरातत्व विभाग से जांच कराने का आग्रह किया जाएगा। चूंकि गांव के वयोवृद्ध भी इस संदर्भ में कुछ भी बताने से इंकार कर रहे हैं। दरअसल मिट्टी से निर्मित कुओं का प्रचलन कब ओर किस परिस्थिति में हुआ था इसकी भी जानकारी किसी को नहीं है। वैसे लोगों ने यह भी माना है कि पूर्व काल में राजा-महाराजा इस प्रकार की कुएं का निर्माण कराया करते थे।
ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है कि हो सकता है ऐसे कुएं का निर्माण राजा के द्वारा किया गया हो और उसमें कुछ अद्भुत चीजें भी मिल सकती है। बहरहाल कुएं की चर्चा गांव-गांव में हो रही है लेकिन वास्तविकता से परे। इसकी जांच के बाद ही सही पता चल पाएगा।
साभार : दैनिक जागरण

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