9/12/2010

ऑनलाइन डिक्शनरी

अंग्रेजी शब्दों के अर्थ और उनका रहस्यमय इतिहास ढूंढने में जो लोग टाइम पास किया करते थे या फिर जिन्हें डिक्शनरी के शब्दों में उलझना अच्छा लगता था, उनके लिए निराश करने वाली खबर है। 1989 से अब तक 80 लेक्सोग्राफर की मदद से जो ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी तैयार की जाती थी, वो अब कभी प्रिंट नहीं होगी। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस के सीईओ निजेल पोर्टवुड के मुताबिक, प्रिंट डिक्शनरी का बाजार अब नहीं रहा और इस पर खर्च करने से कोई फायदा नहीं है। माना जा रहा है कि अधिकतर लोग अब किताब के पन्ने पलटने की बजाय जानकारियों को पाने के साथ पढ़ाई और शोध के लिए ऑनलाइन रिसोर्स पर भरोसा कर रहे है।

ऑनलाइन डिक्शनरी थोड़ी महंगी है। वैट के साथ एक सप्ताह तक एक्सेस करने के लिए ब्रिटिश पौड और एक साल के लिए पौड खर्च करने होंगे। इसके विकल्प भी मौजूद है क्योंकि इसका पॉकेट वर्जन डिक्शनरी ऑनलाइन सेवा फ्री में उपलब्ध है

चूंकि ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी अब ऑनलाइन उपलब्ध होगी और दिसंबर तक वेब वर्जन को रीलांच भी कर दिया जाएगा, इसलिए इस पर काफी जोर-शोर से काम चल रहा है। इतिहास में ऐसा पहली बार होगा जब ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी के इस ऑनलाइन डिक्शनरी में पुरानी अंग्रेजी से लेकर वर्तमान अंग्रेजी के सभी शब्द मौजूद होंगे। इससे लोग शताब्दी पूर्व या फिर वैसे शब्दों से भी रूबरू हो सकेंगे, जिनका प्रयोग अब नहीं होता है। साथ ही लोग वैसे भी शब्दों को भी जान सकेंगे, जो पिछले कुछ दशकों से चलन में आए है। ऑनलाइन डिक्शनरी थोड़ी महंगी है और वैट के साथ एक सप्ताह तक एक्सेस करने के लिए सात ब््िराटिश पौड और एक साल के लिए 205 पौड खर्च करने होंगे। हालांकि इसके विकल्प भी मौजूद है क्योंकि इसका पॉकेट वर्जन डिक्शनरी ऑनलाइन सेवा फ्री में उपलब्ध है।

21वीं सदी की इस डिक्शनरी में 75,000 शब्द और मुहावरे है और 110,000 परिभाषा है। यह प्रेजेंटेबल है और इसकी परिभाषाएं भी संतोषप्रद है। शब्दों की व्युत्पत्ति सहित करीब 1.7 लाख शब्दों, मुहावरे और 2.7 लाख परिभाषाएं जाननी हों तो 40 पौड खर्च करने पड़ेंगे। यह बात और है कि इसमें दी गई परिभाषाएं काफी छोटी है और इनफॉम्रेशन कहां से ली गई है, इसकी जानकारी कहीं भी नहीं है। ऑनलाइन ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में चाहे ब्रिटिश हो या अमेरिकन अंग्रेजी, सभी के शब्द यहां मौजूद है। इस ऑनलाइन साइट पर 1,89,67,499 शब्द है, जो अंग्रेजी के 1,060 प्रमुख डिक्शनरियों से लिए गए है।

गौरतलब है कि ये डिक्शनरियां बिजनेस, आर्ट, मेडिसीन सहित तमाम भाषाओं की है। ऐसे में यह सवाल भी सामने आता है कि यदि अंग्रेजी भाषा को लेकर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस इस कदर जागरूक है तो फिर इतने वृहद पैमाने पर बोली और समझी जाने वाली हिन्दी भाषा को लेकर जागरूकता क्यों नहीं है। और तो और भारत सरकार ने 18वीं अनुसूची में जिन भाषाओं को स्थान दिया है, उनकी लिपि और भाषा में कितनी किताबें छप रही है और ऑनलाइन काम कितना हो रहा है, यह अहम सवाल है।

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