3/07/2011

संबंधों के फासले की पड़ताल

क्रिकेट विश्व कप के मौके पर फिल्म रिलीज करना किसी जोखिम से कम नहीं। बावजूद इसके योगेश मित्तल ने सस्पेंस और थिल्रर से भरी अपनी पहली ही फिल्म 'ये फासले' रिलीज कर सिने दर्शकों के सामने अलग लकीर खींचने का काम किया है। छोटे बजट की यह फिल्म आज के दौर में दर्शकों को क्रिकेट ग्राउंड छोड़कर बड़े पर्दे के सामने बैठाने का माद्दा तो रखती है लेकिन उन्हीं दर्शकों को जिन्हें चौकों और छक्कों की बारिश में आनंद नहीं आता है। 
बाप-बेटी के संबंधों पर आधारित इस फिल्म की कहानी मुख्यत: तीन कलाकारों, एक अनुपम खेर, दूसरे पवन मल्होत्रा और तीसरी फिल्म की नायिका टीना देसाई, के इर्द-गिर्द घूमती है। पढ़ाई पूरी करने के बाद जब अरुणिमा दुआ (टीना देसाई) घर लौटती है। अरुणिमा की दोस्त की शादी के मौके पर अपने पिता देवेंद्र देवीलाल दुआ (अनुपम खेर) को दूल्हे के दोस्त को पीटते देख उनका एक अलग रूप भी देखती है। हालांकि उसके पिता उसे बहुत मानते हैं और उसकी खुशी के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहते हैं। अपनी बेटी की खुशियों की खातिर अरुणिमा की मां (रचिता) की मौत होने के बाद भी उन्होंने दूसरी शादी नहीं की। लेकिन अरुणिमा के दिमाग में हमेशा एक सवाल घूमता रहता है कि उसकी मां की मौत कैसे हुई? वह अपनी मां रागिनी और पापा के पुराने तस्वीरों को देखती है, वसीयत पढ़ती है लेकिन कहीं न कहीं उसके मन में शक की सूई अपने पिता की तरफ घूमने लगती है जो कभी कभी ओवर प्रोटेक्टिव और एग्रेसिव भी हो जाते हैं। फिर ऐसा वक्त आता है जब बेटी अपने पिता को कटघरे में खड़े कर देती है। बाद में, अरुणिमा के सच जानने की इन कोशिश में उसके बचपन का दोस्त मनु (रूशद राणा) उसका साथ देता है। इस फिल्म में शुरू से आखिरी क्षण तक सस्पेंस बना हुआ है और यह पता ही नहीं चलता कि आखिर खून किसने किया है। 
अनुपम खेर, पवन मल्होत्रा और टीना देसाई ने काफी बेहतर परफॉरमेंस है। वहीं , दिग्विजय सिंह के रोल में पवन मल्होत्रा स्क्रीन पर छाए रहे। मजहर सईद और रचिता को अभिनय का कम ही मौका मिला है। हालांकि कहीं-कहीं स्क्रिप्ट और एडिटिंग सही नहीं है। क्योंकि इतनी बड़ी अरुणिमा को मालूम ही नहीं रहता है कि वह राजघराने परिवार की है। वकीलों के बहस के बीच एकाएक कोर्ट इतने बड़े बिल्डर को फांसी की सजा सुना देती है? रियलिटी और फिक्शन के बीच की यह फिल्म सस्पेंस से भरी हुई है और रोमांटिक फिल्म पसंद करने वालों को यह निराश कर सकती है। बैकग्राउंड म्यूजिक बढ़िया है लेकिन दिलकश गीतों का न होना तो खलता ही है। फिल्म की गति सुस्त भी है। इंटरवल के बाद कहानी में सस्पेंस और रोमांच का माहौल पेश करने की जो कोशिश की गई है। फिल्म के अधिकतर दृश्यों में सिनेमेटोग्राफी आउट ऑफ फोकस नजर आती है।
फिल्म : ये फासले
कलाकार : अनुपम खेर , टीना देसाई , रूशद राणा, पवन मल्होत्रा, किरण कुमार, नताशा सिन्हा 
निर्माता : ओम प्रकाश मित्तल
निर्देशक : योगेश मित्तल 

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